माक्र्सवादी इतिहास लेखन और राष्ट्रवाद
Abstract
माक्र्सवादी इतिहास लेखन का राष्ट्रवाद के प्रति अपना एक अलग दृष्टिकोण है। स्वतंत्रता के पश्चात् भारत में एक ऐसे इतिहास का प्रारम्भ हुआ जिसकी जड़ राष्ट्रवादी इतिहासकारों के लेखन में मौजूद थी और जिसका उद्भव माक्र्सवाद में रूचि के परिणाम स्वरूप हुआ। माक्र्सवादी इतिहास लेखन से यह तात्पर्य नहीं है कि सभी लेखक माक्र्सवादी थे परन्तु उन सभी ने ऐतिहासिक घटनाओं को समझने के लिए भौतिकवादी व्याख्या का पद्धति के रूप में प्रयोग किया। कुछ ने अनुभव किया कि इतिहास विशेषकर प्राचीन इतिहास का अध्ययन सामाजिक विज्ञान के ढांचे के अन्दर किया जा सकता है।1 इनकी व्याख्या माक्र्स के इतिहास दर्शन विशेषकर द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद से प्रभावित थी।